वैदिक संस्कृति की मूलभूत विशेषताए ऋग्वेद या पूर्व वैदिक संस्कृति की विशेषताएं- ऋग्वैदिक काल से आशय उस समाज से है जबकि आर्य पंजाब तथा गंगा घाटी के उत्तरी भाग में फैले थे। ऋग्वेद एक उस समय का ऐसा ग्रन्थ है जिससे पूर्व वैदिक कालीन आर्यों की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक स्थिति का विवरण मिलता है। जिस काल में ऋग्वेद की रचना हुई उस काल को सभ्यता को हम ऋग्वैदिक सभ्यता अथवा पूर्व वैदिक काल की सभ्यता के नाम से जानते हैं। इससे प्राप्त विवरण इस प्रकार हैं- राज्य का स्वरूप (राजनीतिक दशा) (1) राजतन्त्र-ऋग्वैदिक काल में राजतन्त्र राज्य का मुख्य स्वरूप था। ऋग्वेद में वर्णित कई कबीले राजा के आधीन थे। ऋग्वेद में राजा के लिए राजन शब्द का उपयोग हुआ है। ऐसा लगता है, राजा का पद पैतृक हो गया था और इसमें ज्येष्ठाधिकार का सिद्धान्त लागू होता था। (2) कबीली प्रजातन्त्र-रामशरण शर्मा ने यह सिद्ध करने की कोशिश की है कि ऋग्वैदिक काल में कबीली प्रजातन्त्र था। गणतन्त्र के लिये तकनीकी शब्द 'गण का प्रयोग ऋग्वेद में 46 बार हुआ है। एक जगह गण के प्रधान को 'गणपति कहा गया है। एक स्थान पर राजन भी। लगता
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